
मुंबई, 4 अगस्त। स्कूली विद्यार्थियों को नैतिक जीवन एवं चरित्र निर्माण का पाठ पढ़ाने वाली देश की प्रमुख सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था “संस्कृति संवर्धन प्रतिष्ठान” की नव प्रकाशित स्मारिका का विमोचन रविवार, 3 अगस्त, 2025 की शाम आयोजित एक गरिमापूर्ण समारोह में महाराष्ट्र के सांस्कृतिक कार्य तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री एडवोकेट आशीष शेलार द्वारा अन्य अतिथियों के साथ किया गया।
यह भव्य समारोह मुंबई के प्रभादेवी स्थित यशवंत भवन सभागार में बड़ी संख्या में आये शिक्षकों और नागरिकों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। इस समारोह में सुप्रसिद्ध उद्योगपति डॉ. अजीत गुंजीकर, विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री गोविंद शेंडे, मुंबई क्षेत्र के धर्म पुंज विभाग प्रमुख संजय मुद्राळे, प्रतिष्ठान के संस्थापक न्यासी मोहन सालेकर सहित विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री आशीष शेलार ने कहा कि आज नाबालिगों में आपराधिक प्रवृत्ति, नशाखोरी, बड़ों के प्रति अनादर, मन की चंचलता के अलावा संयम और सहनशीलता की कमी प्रबल रूप से देखी जा रही है। दूसरी ओर, हमारी पारिवारिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रही है तथा आज के स्कूल केवल परीक्षार्थी पैदा करने वाले कारखाने बनते जा रहे हैं। ऐसे समय में बच्चों के मन में अच्छे संस्कार कौन सींचेगा ? उन्होंने कहा कि “संस्कृति संवर्धन प्रतिष्ठान” द्वारा हमारे प्राचीन ग्रंथों की कहानियों की मदद से स्कूली छात्रों को जीवन के नैतिक सबक प्रदान करके इस समस्या का समाधान करने के सफल प्रयासों का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूँ। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल संचालकों और समाज के संवेदनशील लोगों को इस प्रतिष्ठान द्वारा किये जा रहे राष्ट्र निर्माण के महत्वपूर्ण कार्यों का समर्थन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस संस्था ने अपना कार्य पूरी लगन और ईमानदारी से जारी रखा है। अब इस कार्य को सुदृढ़ करने की ज़िम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार की है और मैं आने वाले दिनों में उस ज़िम्मेदारी को अवश्य पूरा करूंगा। उन्होंने यह भी ठोस आश्वासन दिया कि वे इस पहल को सरकारी स्तर पर सभी स्कूलों तक पहुँचाने का कार्य सुनिश्चित करेंगे। प्रतिष्ठान के समन्वयक गौरव कुलकर्णी ने विभिन्न पहलों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिष्ठान पिछले 22 वर्षों से स्कूली विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों की शिक्षा देने का काम कर रहा है। इसके अंतर्गत कक्षा 4 से 8 तक के विद्यार्थियों को रामायण, महाभारत, संतों की कहानियों और क्रांतिकारियों के जीवन-चरित्रों के आधार पर नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने का प्रयास निरंतर किया जा रहा है। वर्तमान में प्रतिष्ठान की जीवन शिक्षण परियोजना देश के 23 राज्यों में कार्यरत है। इस वर्ष महाराष्ट्र के चौदह सौ विद्यालयों के एक लाख पचास हज़ार विद्यार्थी इस पहल में शामिल हुए हैं और हाल ही में गोवा सरकार ने अपने सभी विद्यालयों में यह पहल शुरू करने की स्वीकृति दी है। इस अवसर पर प्रतिष्ठान के वरिष्ठ सेवादार दत्ताराम नाईक, अलका गोडबोले, हरबाला शाहा, अविनाश जोशी, शशिकांत देसाई आदि को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया। साथ ही निधि संग्रह में अग्रणी रहीं बीना रेगे, राजश्री माने, कल्पना गायकवाड़, शिवानी सरदेसाई, प्राची उपासनी आदि को विशिष्ट अतिथि डॉ. अजीत गुंजीकर ने विविध उपहार देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डॉ. अजीत गुंजीकर और गोविंदराव शेंडे ने समयानुकूल मुद्दों पर सम्बोधित किया। समारोह की शुरुआत में निनाद कला पथक के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत मनमोहक नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। समारोह का कुशल मंच संचालन शीतल निकम ने किया, जबकि अतिथियों के स्वागत और परिचय दायित्व का निर्वाह श्रीमती नम्रता पुंडे द्वारा बखूबी सुनिश्चित किया गया। प्रारम्भ में प्रतिष्ठान के संस्थापक न्यासी मोहन सालेकर ने सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ, तुलसी का पौधा और दुशाला भेंट कर उनका स्वागत किया।
